नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ करनी का सुख तेरे हाथों, शिव के हाथों में परिणाम, शिव के हाथों में परिणाम नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥ धन निर्धन को देत सदाहीं। https://r02456.wikiexpression.com/3708015/getting_my_shiv_chaisa_to_work